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SC ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए पतंजलि आयुर्वेद को अवमानना ​​नोटिस भेजा SC sends contempt notice to Patanjali Ayurved for misleading ads

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया: चिकित्सा विज्ञापनों पर प्रतिबंध

नई दिल्ली, 27 फरवरी: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु रामदेव के उच्चतम न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया है। इसका कारण है, कंपनी द्वारा चलाए जा रहे धोखाधड़ी विज्ञापनों के कारण जो कई बीमारियों को स्थायी रूप से ठीक करने का दावा कर रहे थे।

पृष्ठभूमि: कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी कड़ी आलोचना की है क्योंकि वह “अपनी आंखें बंद करके बैठा है” और इन विज्ञापनों पर कोई कदम नहीं उठा रहा है। यह मामला भारतीय मेडिकल एसोसिएशन द्वारा पिछले वर्ष दाखिल किया गया था जिसमें पतंजलि को आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ उनके विज्ञापनों के खिलाफ चेतावनी दी गई थी, जिसमें भारत के COVID-19 टीकाकरण अभियान भी शामिल था।

कोर्ट के आदेश: कोर्ट ने तत्काल समयानुसार सभी भ्रामक इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट विज्ञापनों को रोकने के निर्देश दिए हैं। विचार के दौरान जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, “आज मैं वास्तव में सख्त आदेश पारित करने जा रहा हूं।”

पतंजलि की प्रतिक्रिया: पतंजलि की ओर से प्रतिबंध लगाने के बाद उसके सीनियर एडवोकेट विपिन सांघी ने आश्वासन दिया कि कंपनी भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगी। साथ ही यह सुनिश्चित करेगी कि प्रेस में कैजुअल बयान न दिए जाएं।

भविष्य क्रियाएँ: कोर्ट ने पतंजलि को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया है। इसके बाद दी गई जानकारी के मुताबिक, पतंजलि आयुर्वेद की जनसंपर्क टीम से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन टीम के एक अधिकारी ने इस मामले पर कोई भी बात रखने से मना कर दिया।

पिछली चेतावनी: कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में भी पतंजलि आयुर्वेद को अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में ‘झूठे’ और ‘भ्रामक’ दावे करने के प्रति आगाह किया था। कोर्ट ने पतंजलि को चेतावनी दी थी कि अगर वो अपने प्रोडक्ट से बीमारियों के इलाज का झूठा दावा करता है तो उस पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा।

IMA के आरोप: इसमें से एक है कि IMA ने अपनी याचिका में दावा किया था कि पतंजलि गलत दावों के साथ विज्ञापन चलाती है और इसने COVID-19 वैक्सीन के बारे में गलत सूचना फैलाई है।

निष्कर्ष: सुप्रीम कोर्ट ने मिथकपूर्ण विज्ञापनों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करके मजबूत स्थान बनाया है। पतंजलि को कोर्ट के निर्देशों का उत्तर देने का एक अवसर दिया गया है।*

SC ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए पतंजलि आयुर्वेद को अवमानना ​​नोटिस भेजा
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